महर्षि चरक (च. सू. 5) अनुसार कान में प्रकृति के अनुसार बला तैल, अणुतैल या अपामार्ग क्षार तैल आदि औषधि सिद्ध तैल में से किसी एक की ५ - ५ बुँदे कान में रात को सोते समय डालने से कान के रोग, जबड़े के रोग एवं बधिरता नहीं होती।
महर्षि चरक (च. सू. 5) अनुसार कान में प्रकृति के अनुसार बला तैल, अणुतैल या अपामार्ग क्षार तैल आदि औषधि सिद्ध तैल में से किसी एक की ५ - ५ बुँदे कान में रात को सोते समय डालने से कान के रोग, जबड़े के रोग एवं बधिरता नहीं होती।
महर्षि चरक के अनुसार पनीर (कूर्चिका/ किलाट च. सू. 5) का सेवन रोज कभी न करें | यह कफ और वायु को बढ़ाता है जिस से त्वकविकार, प्रमेह , श्वास आदि होते है |
महर्षि चरक (च. सू. 5) अनुसार कान में प्रकृति के अनुसार बला तैल, अणुतैल या अपामार्ग क्षार तैल आदि औषधि सिद्ध तैल में से किसी एक की ५ - ५ बुँदे कान में रात को सोते समय डालने से कान के रोग, जबड़े के रोग एवं बधिरता नहीं होती।
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महर्षि चरक के अनुसार पनीर (कूर्चिका/ किलाट च. सू. 5) का सेवन रोज कभी न करें | यह कफ और वायु को बढ़ाता है जिस से त्वकविकार, प्रमेह , श्वास आदि होते है |
महर्षि चरक (च. सू. 5) अनुसार कान में प्रकृति के अनुसार बला तैल, अणुतैल या अपामार्ग क्षार तैल आदि औषधि सिद्ध तैल में से किसी एक की ५ - ५ बुँदे कान में रात को सोते समय डालने से कान के रोग, जबड़े के रोग एवं बधिरता नहीं होती।
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महर्षि चरक के अनुसार पनीर (कूर्चिका/ किलाट च. सू. 5) का सेवन रोज कभी न करें | यह कफ और वायु को बढ़ाता है जिस से त्वकविकार, प्रमेह , श्वास आदि होते है |
महर्षि चरक (च. सू. 5) अनुसार कान में प्रकृति के अनुसार बला तैल, अणुतैल या अपामार्ग क्षार तैल आदि औषधि सिद्ध तैल में से किसी एक की ५ - ५ बुँदे कान में रात को सोते समय डालने से कान के रोग, जबड़े के रोग एवं बधिरता नहीं होती।